Wednesday, September 16, 2015

दस बातें जिन्‍हें लेकर महिलाओं को रहती हैं चिंता

महिलाओं को कितना कुछ संभालना होता है, घर, परिवार, बच्‍चे, नौकरी, मेहमान और भी न जाने क्‍या-क्‍या। आखिर इतनी सब चीजों में संतुलन साध पाना आसान नहीं होता। और जब महिलायें अपनी ही अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पातीं, तो वे हो जाती हैं ग्‍लानि की शिकार।

महिलाओं को चिंता
एक शोध के अनुसार 96 फीसदी महिलाओं को दिन में कम से कम एक बार चिंता की अनुभूति होती है। इससे उनकी सेहत पर नकारात्‍मक असर पड़ता है। चलिए हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बताते हैं जो आपको खुश रहने में मदद करती हैं। इसके लिए आपको ग्‍लानि के मूड से बाहर निकलना होगा। आपको विचार करना होगा कि कैसे आप अपने जीवन में संतुलन बना सकती हैं।

1) बच्‍चों के साथ पर्याप्‍त वक्‍त न बिता पाने की चिंता
अधिकतर कामकाजी महिलाओं को इस बात की फिक्र होती है कि वे अपने परिवार और काम के बीच सही संतुलन नहीं बैठा पा रही हैं। उन्‍हें लगता है कि वे अपने बच्‍चों को पूरा समय नहीं दे पा रही हैं। अगर काम के वक्‍त आप अपने बच्‍चों को लेकर फिक्रमंद हैं, तो ऐसे में आप न तो अपने काम पर पूरा ध्‍यान दे पाएंगी और न ही इससे आपके बच्‍चों को कोई फायदा होने वाला है। आपको अपना पूरा ध्‍यान उसी जगह लगाना चाहिये जहां आप हैं। यानी अगर आप काम पर हैं तो आपका पूरा ध्‍यान वहीं होना चाहिये और अगर आप बच्‍चों के साथ हैं, तो उस वक्‍त काम के बारे में ज्‍यादा नहीं सोचना चाहिये। कहने का अर्थ है कि अपने शरीर और मन-‍मस्तिष्‍क को एक ही जगह रखें।

2) वजन कम न होना
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 70 फीसदी से अधिक महिलायें कभी न कभी डायट पर जरूर होती हैं, फिर चाहे उनका वजन अधिक हो या नहीं। अगर आप सुंदर और स्लिम नजर आना चाहती हैं, तो अपनी मौजूदा परिस्थितियों में कुछ बदलाव कीजिये। जिम अथवा स्लिमिंग सेंटर जाने का वक्‍त जरूर निकालिये। यह आपकी पसंद है और इसके लिए आप किसी दूसरे को दोषी नहीं ठहरा सकतीं।

3) खुद पर पैसे खर्च करना
शॉपिंग करना तो आपको पसंद है, लेकिन इसके बाद आप अकसर खुद को कोसता हुआ पाती हैं। आपको लगता है कि आप खुद पर ज्‍यादा खर्च कर रही हैं। लेकिन, अपनी शॉपिंग को किसी कारण के साथ जोड़ दें। आप सोचिये कि स्‍पा पर किया गया खर्च आपको मानसिक और शारीरिक रूप से अधिक सक्षम और राहत देगा, या फिर नया बिजनेस सूट से आपको अपने काम में फायदा होगा, तो आपको गिल्‍ट करने की कोई जरूरत नहीं है।


4) आपका साथी नाखुश है
अगर आपको इस बात की चिंता है कि आप अपने साथी को खुश नहीं कर पा रही हैं, तो इसके लिए आप स्‍वयं को दोषी न ठहरायें। बेहतर है कि आप दोनों बैठें और इसकी वजह तलाशने का प्रयास करें। देखें कि अपनी दिनचर्या में क्‍या बदलाव कर आप एक दूसरे के साथ ज्‍यादा वक्‍त बिता सकते हैं। बात करें और जरूरत हो तो अपने व्‍यवहार में भी बदलाव करें। इससे आप पहले से अधिक खुशहाल जोड़ा बन पाएंगे।

5) हमेशा देरी से पहुंचना
कई बार आप हालात की वजह से लेट हो जाती हैं। आप कितनी भी तैयारी करें, लेकिन ना-ना करते देर हो ही जाती है। इसी वजह से हमें ग्‍लानि और डर का अहसास होता है। रास्‍ते में यह सोचना कि अगर आप दफ्तर में होतीं तो क्‍या करतीं, समय की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं। इससे तो बेहतर है कि आप स्‍वयं से पूछें कि इस मौजूदा वक्‍त को कैसे बेहतर तरीके से इस्‍तेमाल कर सकती हैं। आप ऑफिस में होने वाली मीटिंग के प्‍वांइट्स तैयार कर सकती हैं या फिर शाम को घर लौटते समय की जानी वाली खरीदारी की लिस्‍ट भी तैयार कर सकती हैं।

6) अच्‍छी मेजबान साबित न होना
कई महिलाओं को इस बात का मलाल होता है कि वे अच्‍छी मेजबान साबित नहीं हो पातीं। वे एक परफेक्‍ट पार्टी देने के लिए अपने लिए ऊंचे स्‍तर तय कर लेती हैं, लेकिन किसी वजह से उस तक नहीं पहुंच पातीं। और फिर उन्‍हें इसके बाद इस बात का दुख होता है कि वे अपनी ही अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पायीं। सामाजिक रूप से खुद को बेहतर साबित करने की हमारी चाह हर समय परफेक्‍ट होने से ही निकली हैं। तो, ज्‍यादा फिक्र न करें। अपनी पार्टी का आयोजन करें और एक बुरे पार्टी होस्‍ट बनें। जिस समय आप इस तथ्‍य को स्वीकार कर लेंगे कि आप बुरी पार्टी होस्‍ट हैं, तो आपके सिर से दबाव हट जाएगा। हर बार परफेक्‍ट होने की चाह में हम खुद पर बेकार का दबाव ले लेते हैं। हर किसी का हर बात को लेकर अलग नजरिया होता है, इसलिए आप अपने हिसाब से पार्टी का आयोजन कीजिये और आनंद उठाइये।

7) जन्‍मदिन भूल जाना
आप जानबूझकर तो ऐसा नहीं करतीं। आपको रोजाना कितने काम करने होते हैं। दिन में 18-20 घंटे आपके पास करने के लिए हजारों काम होते हैं। अगर आपको किसी का भी जन्‍मदिन याद नहीं रहता तो, इसके लिए उससे माफी मांगें और बतायें कि आपने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। अगर फिर भी दूसरा वयक्ति इस बात का बुरा मानता है, तो इसका निर्णय उसी पर छोड़ दें।

8) अपने लिए वक्‍त निकालना
हर महिला की चाह होती है कि वह सुपरवूमेन बन जाए। यानी आप एक ही समय पर कई काम कर सकें। बालों की देखभाल से लेकर किताब पढ़ने तक। लेकिन, ऐसा हर बार संभव नहीं होता। कई बार कुछ न करना भी बहुत जरूरी होता है। यानी ऐसा वक्‍त जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से आराम कर सकें। और खुद को रिचार्ज कर सकें। हालांकि, बाकी लोगों के लिए आपको यूं खाली बैठे देखना बहुत मुश्किल होता है। उनके लिए यह देखना और समझना आसान नहीं होता। ऐसे लोगों को सच बतायें। उन्‍हें बतायें कि आप अपनी सीमा तक पहुंच चुकी हैं, और अब आपको आराम करना जरूरी है। और इस तथ्‍य को भी स्‍वीकार करें कि आपके बिना दुनिया में सारे काम बंद नहीं हो जाएंगे। वो ग़ालिब ने कहा है ना,

'गालिबे खस्‍ता के बगैर कौन से काम बंद है
रोइये ज़ार-ज़ार क्‍या, कीजिये हाय-हाय क्‍यों।

9) माता-पिता की उम्‍मीदों पर खरा न उतरना
महिलाओं को अकसर यह दर्द भी सताता है कि वे अपने माता-पिता का पूरा खयाल नहीं रख पातीं। वे उनके लिए कुछ नहीं कर पातीं। इस बात का स्‍वीकार करें कि आपके माता-पिता आपकी सीमाओं और परेशानियों को समझते हैं। और वे आपको हमेशा प्‍यार करते रहेंगे। बेशक, आपको अपने माता-पिता के प्रति संवेदनशील होना चाहिये, लेकिन अगर आप अपने हिसाब से काम करेंगी, तो ज्‍यादा खुश और कामयाब होंगी। और यकीन जानिये आपके पेरेंट्स आपकी भावनाओं को जरूर समझेंगे।

10) ना कहना
महिलाओं को बचपन से ही दूसरों के हितों को पहले रखना सिखाया जाता है। और '' कहकर वे 'बुरी' नजर नहीं आना चाहतीं। जरूरी है कि आप हर बात को अच्‍छे से सुनें और समझें। अपने विवेक पर उसे कसने के बाद ही कोई फैसला करें कि क्‍या आप उसे मानने की स्थिति में हैं अथवा नहीं। अगर आप वह काम नहीं करना चाहतीं, तो दूसरे व्‍यक्ति को इस बारे में साफ बता दें।

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